गौर करने वाली बात है कि श्रद्धालु कथा प्रारंभ होने के समय दोपह 1:00 बजे के तीन चार घण्टे पहले सुबह 7 बजे ही आना शुरू हो जाते है और कथा के पंडालों में बैठ जाते है जिससे वे जो पानी की बोतल साथ लाते है वह कथा प्रारंभ होने के पूर्व ही खत्म हो जाती है और जब 1 बजे से कथा प्रारंभ होती है तो तीनो कथा पंडाल खचा खच भर जाते है और पंडाल के बाहर भी लाखो लोग बैठ जाते है जिससे लोग पानी पीने के लिए नही जा पाते इस बात को करणी सेना परिवार मध्यप्रदेश ने अपने अज्ञान में लिया और पूरे पंडालों में जल वितरित करने के लिए पानी के पाउच कथा शुरू होने के बाद वितरित किए, इस हेतु 51000 पाउच का लक्ष्य लिया गया था जो सहयोगकर्ताओं ओर दानदाताओं की सहयोग से और बड़ा कर पूरे एक ट्रक पानी के पहुंच करणी सैनिकों ने हर एक पंडाल और हर एक श्रृद्धालु तक वितरित किए।
कथा शुरू होने के पूर्व ही पुलिस कथा स्थल तक आवागमन बंद कर देती थी और लाखो की भीड़ को पार कर कथा स्थल तक दिन में पहचाना कठिन था इसलिए करणी सेना परिवार नरसिंहगढ़ ने निर्णय लिया की रात को ही पानी का ट्रक कथा स्थल पर पंहुचा कर वहां खली किया जावे इस हेतु पानी का ट्रक रात को 2 बजे कथा स्थल पर पहुंचा कर करणी सैनिकों ने ही उसे खाली किया इसमें नरसिंहगढ़ तहसील टीम और राजगढ़ तहसील टीम रात 4 बजे तक कार्य करती रही,,, और फिर दोपहर कथा प्रारंभ होने के उपरांत कथा पंडालों में शिव भक्तों को जल सेवा का कार्य सभी करणी सैनिकों ने मिल कर किया जो कथा समापन के उपरांत भी निरंतर चलता रहा।
नरसिंहगढ़ तहसील टीम और राजगढ़ तहसील टीम रात 2 से 3 बजे तक कार्य करती रही,,,
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